वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

हज़रत ख़्वाजा सिरी सकती

रहमतुह अल्लाह अलैहि

आप की विलादत बासआदत १५५ हिज्री में इराक़ के शहर बग़दाद में हुई।आप का इस्म गिरामी हज़रत सर उद्दीन उल-मारूफ़ सिरी सकती रहमतुह अल्लाह अलैहि और कुनिय्यत अबुलहसन थी ।क्योंकि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि दूकानदारी किया करते थे इस लिए सिरी सकती के नाम से मशहूर हुए।आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के वालिद का इस्म गिरामी हज़रत मग़लस था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

                                                         पीछे वाला मज़ार हज़रत सिरी सकती रहमतुह अल्लाह अलैहि काहै

एक रोज़ हज़रत हबीब राय रहमतुह अल्लाह अलैहि का गुज़र आप की दूकान से हुआ।आप ने फ़िक़रा-ए-में तक़सीम करनेवाली रोटी के टकरे पेश किए। उन्हों ने आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को दुआ से नवाज़ा और कहा कि ख़ुदा तुझे नेकी की तौफ़ीक़ दे। बस उसी दिन से आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का दिल दुनिया की रग़बत से उचाट होगया। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत-ए-शैख़ मारूफ़ करख़ी रहमतुह अल्लाह अलैहि के मुरीद बासफ़ा और ख़लीफ़ा थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने उन्हीं से ज़ाहिरी-ओ-बातिनी उलूम हासिल किए।

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की बग़दाद में कबाड़ यए की दुकान थी। एक दफ़ा बग़दाद के बाज़ार में आग लग गई तो लोगों ने आप रहमतुह अल्लाह अलैहि से कहा कि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की दूकान जल गई है। ये सन कर आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया चलो अच्छा हवा में इस फ़िक्र से आज़ाद हुआ। जब लोगों ने जाकर देखा तो इर्दगिर्द की तमाम दूकानें जल चुकी थीं लेकिन आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की दूकान महफ़ूज़ थी। जब आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने ऐसा देखा तो जो कुछ दूकान में था सब दरवेशों और ज़रूरतमंदों में तक़सीम कर दिया और फ़रमाया कि मुस्लमान भाईयों के साथ नुक़्सान में मुवाफ़िक़त करना वाजिबात में से है।

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने दूकान में पर्दा डाल रखा था। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि हर रोज़ एक हज़ार रकात नमाज़ नफ़ल अदा करते थे और दस दीनार के ऊपर एक निस्फ़ दीनार से ज़्यादा मुनाफ़ा ना लेते थे। एक दिन आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने साठ दीनार के बादाम इकट्ठे ख़रीद लिए और साथ ही बाज़ार में बादामों का भाव चढ़ गया । एक दलाल आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के पास आया और महंगे दामों आप रहमतुह अल्लाह अलैहि से बादाम ख़रीदने की दरख़ास्त की और कहा कि तमाम बादाम मुझे बीच डालिए मगर हज़रत-ए-शैख़ सिरी सकती रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया कि मैंने अल्लाह तआला से अह्द किया है कि में दस दीनार पर निस्फ़ दीनार से ज़्यादा नफ़ा नहीं लूंगा इस लिए में तुम्हें ये माल नहीं बीच सकता।

हज़रत जुनैद बग़्दादी रहमतुह अल्लाह अलैहि फ़रमाते हैं कि मैंने हज़रत सिरी सकती रहमतुह अल्लाह अलैहि से ज़्यादा कामिल अलाबादत किसी को नहीं पाया। ९८ साल गुज़र गए इस आलम में कि ज़मीन पर पहलू तक नहीं रखा। बीमारी की हालत में बिस्तर पर दराज़ होने की सूरत इस से मुस्तसना है।

एक मर्तबा एक शराबी को देखा जो नशे की हालत में मदहोश ज़मीन पर गिरा पड़ा था और अल्लाह अल्लाह पुकार रहा था। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने इस का मुँह पानी से धोया और फ़रमाया इस बेख़बर को क्या ख़बर कि नापाक मुँह से किस ज़ात पाक का नाम ले रहा है। जब इस शराबी को होश आया तो लोगों ने उसे बताया कि हज़रत सिरी सकती रहमतुह अल्लाह अलैहि तशरीफ़ लाए थे और तुम्हारा मुँह धो कर चले गए हैं। वो शराबी बाइस-ए-शर्म-ओ-नदामत रोने लगा। रात को आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने एक निदाए ग़ैबी सुनी ए सिरी सकती तुम ने मेरी ख़ातिर इस शराबी का मुँह धोया है मैंने तुम्हारी ख़ातिर इस का दिल धो दिया है। जब आप रहमतुह अल्लाह अलैहि मस्जिद में नमाज़ के लिए तशरीफ़ ले गए तो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने देखा कि वो शराबी भी नमाज़ पढ़ रहा है।

जब आप रहमतुह अल्लाह अलैहि अलील होगए तो हज़रत जुनैद बग़्दादी रहमतुह अल्लाह अलैहि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की इयादत के लिए तशरीफ़ लाए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के पास एक पंखा पड़ा हुआ था। उन्हों ने उठा कर आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को झलना शुरू कर दिया। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने इरशाद फ़रमाया कि जुनैद उसे रख दो क्योंकि आग हुआ से ज़्यादा रोशन और तेज़ होती है। हज़रत जुनैद बग़्दादी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने अर्ज़ की कि मुझे कुछ नसीहत फ़रमाएं आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया ख़लक़ की सोहबत की वजह से हक़तआला से कभी ग़ाफ़िल ना होना।

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि १३रमज़ान उल-मुबारक २५३हिज्री में इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का मज़ार अक़्दस बग़दाद शरीफ़ में शोनीज़ के मुक़ाम पर वाक़्य है।